बस यूँ ही II
मेरी धड़कनो को गर सुन रहे हो ध्यान से,
तो समझ जाओगे की वो तेज है,
मेरे चेहरे को देखा है कभी गर ध्यान से,
तो समझ जाओगे की माथे पे सिलवटें हैं,
मुक्कदर का सारांश समझो,
या किसी नई कहानी का आगाज़,
मेरी आज की लड़ाई देख रहे हो गर ध्यान से,
तो समझ जाओगे की वो खुद से है।।
मेरी बातों को सुन रहे हो गर ध्यान से,
तो समझ लोगे की टूट रहीं है वो समुन्दर सी,
टकरा के किनारों से,
मेरी साँसों पे गौर करा जो गर ध्यान से,
तो समझ लोगे किनारे कर लिए हैं,
भरोसे से,
मेरी धड़कनो को गर सुन रहे हो ध्यान से,
तो समझ जाओगे की वो तेज है।।
© Jayendra Dubey.
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