नींद
मेरी नींद का मेरे इश्क़ से,
कतई कोई ताल्लूक नही,
मगर अक्सर जागती रातों की हमसफर,
किसी की याद हो तो,
सोचना पड़ता है की आखिर,
खुली आंखों के पीछे कंही,
किसी खूबसूरत सपने की लाश तो नही?
बचपन से बिछड़ते वक़्त जो वादा तोड़ा था,
की ये चकाचौंध सी दुनिया का हिस्सा बन के,
अपने को इन आधुनिक प्रेतों की परछाई में खोउँगा नही,
कंही उस टूटे वादे की बदबू जेहेन से ही तो नही?
ये जो शब्दों को ढूंढ लिया है,
खुद को उसके पीछे छुपाने को,
ये आवाज़ किसी अधूरे पड़े, कागजों के बोझ तले,
सुबकते अफ़साने की तो नही,
जो कोस रहा है उस वफ़ा को,
जिसने स्याही के साथ भरोसे का साथ भी तोड़ दिया था।
जिसे जो मानना है मान ले,
पर मेरी नींद का मेरे इश्क़ से कतई कोई ताल्लुक नही।।।
©Jayendra Dubey.
Comments
Nice one..👌
Shabdo ki jadugari sabko nhi aati. Pr kabhi kabhi lagta h ye hunar bhi hona chahiye..
Bahut hi sadgi se sachchai likhna koi apse shikhe.
Bachpan se kiye vade tutne pr takleef to hoti h pr waqt har bimari ka ilaj rakhta h.👌🏽