इश्क़ (IV)

मोहब्बत का इल्ज़ाम,
और तुमसे मिलने की साज़िश,
कौड़ी की किस्मत,
और तुमको पाने की ख्वाहिश,
जन्नत की दूरी,
और थोड़ी सी स्याही,
लफ़्ज़ों में कितना बांधू,
ख्यालों सी तुम,
आँखों में कायनात की ख़ूबसूरती,
कागज़ों का नाप छोटा,
शब्दो की तादाद कम,
और अपनी शायरों सी सिरत।

तुझको पाने की आरज़ू एक दर्द,
मरहम सिर्फ तुझको पाने की खुशनसीबी,
तुझसे दूरी इस दिल का मर्ज,
तेरी मुस्कराहट में हकीमी,
तू रहनुमाई का आफ़ताब,
और अपनी काफ़िर की सीरत।

मोहब्बत का इलज़ाम,
और तुमको पाने की साज़िश।।।

©Jayendra Dubey, 2016

Comments

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3roi said…
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3roi said…
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