लिखना चाहता हूं


कुछ फुरसते लिखना चाहता हूं,
लिखना चाहता हूँ कुछ सिफारिशें,
बेचैन दिल को जो दे थोड़ा आराम,
ऐसे ख़्याल लिखना चाहता हूं। 
इन लंबी,
कभी न खत्म होने वाली सड़क पे,
चल चल के थक गया हूं,
किसी चाय के प्याले को पीते हुए,
धूप में छांव लिखना चाहता हूं,
जिस लक़ीर ने अलग कर दिया दो मुल्कों को,
उस लकीर पे मोहब्बत लिखना चाहता हूं,
कुछ फुरसते कुछ सिफारिशें,
बंजर रेत पे बारिशें चाहता हूं,
सारे बुझे दिये बटोर लिए हैं,
इन अंधेरी रातों में चाँदनी लिखना चाहता हूं।
कुछ फुरसते लिखना चाहता हूं।।

©जयेन्द्र दुबे

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