अमलताश का पेड़
अमलताश के पेड़ की ठीक सामने के,
जर्जर सरकारी मकान की कहानी है ये,
जिसकी सामने की बालकनी से सरकारी अस्पताल,
और पिछली खिड़की से एक गंदा तालाब दिखता था।
एक मुंडेर पर मधुमखियों का बड़ा छत्ता भी था।
जिसकी उपरी मंजिल पे कोई चलता,
तो निचली मंजिल का उतरता पेंट,
किसी टूटी पत्ती की तरह गिर जाता,
जाने कितने परिवार वंहा आ के रह गए,
कोई बच्चा डॉक्टर हो गया,
तो काई इंजीनियर,
तीन अट्ठानी कभी,
बच्चों ने जो कंपाउंड के गेट की नीचे दबाई थी,
वो और नीचे धस गयी,
कह के गए थे,
बाद में आकर निकलेंगे।
ये बात भी उनकी,
तालाब के राक्षस वाली कहानी की तरह झूटी निकली।।
खैर जर्जर सरकारी मकान देखते देखते
एक दिन नया हो गया,
उसका रंग रूप सब बदल गया,
और उसकी बिल्डिंग पे,
मेडिकल स्टोर का बोर्ड टंग गया,
अब उस मेडिकल स्टोर से तालाब नही दिखता,
अमलताश का पेड़ आज भी वंही है,
किसी नई कहानी के इन्तेजार में।।
© जयेन्द्र दुबे
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