तुम, मैं और यादें
© जयेन्द्र दुबे |
किसी बरसो पुरानी याद की तरह हो तुम,
तुम्हारी बातें भूल चुका हूँ मैं,
अक्स ज़ेहन में धुंधला सा गया है,
और साथ बिताये लम्हे,
किसी पिछले जन्म के से लगते हैं,
ये भी लगता है की ,
बरसो पहले देखे सपनो को ही यादें समझ बैठा हूँ।
मैं, मैं नही रहा,
बहुत बदल गया हूँ,
तुम्हारे घर को जाने वाले रास्ते भी बदल गए हैं,
कभी कभी गुज़रता भी हूँ जो उनसे,
तो लगता है किसी अनजाने की तलाश में निकला हूँ।
कल को बीती बारिशें,
अब तूफान सी लगती हैं,
और बातें वहम,
अब किसी बरसों पुरानी याद की तरह हो तुम।।
© जयेन्द्र दुबे
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