सिगरेट
कभी कभी सोचता हूँ सिगरेट न छोड़ी होती तो,
परेशानियों को धुएं में उड़ा दिया होता,
कश ले के,
ख़त्म कर दी होती शिकायतें,
दो घूँट शराब के साथ।।।
मोहब्बत की नाकामी,
दबा दी होती,
मरे सपनों के नीचे,
और फूल बिखेर के खुश्बू वाले,
ज़िन्दगी के मकबरे पे जाम खोल लिया होता।।
हर एक कश, हर एक घूँट पे,
भुला दिए होते वो रिश्ते,
जो बरकार थे इस शर्त पे की,
रात की महफ़िलें,
सिर्फ नशे से सराबोर होंगी,
वक़्त ने जिस जंग से खींच के बाहर ला पटका
उस जंग में नशे में थोड़ा और झुमा होता।।।
कभी कभी सोचता हूँ,
की खुद का सहारा,
खुद का गम,
किसी गैर के संग से ज्यादा बेहतर है।।
© Jayendra Dubey.
Comments
Always remember it.
Absolutely love your pieces dear...keep shining.