इँद्रधनुष
कहीं इंद्रधनुष के पार,
ऊंचे आसमान में,
एक जगह है
जहाँ के हम सबने सपने देखे हैं,
जिसके बारे में कभी लोरी में सुना था।
कि कहीं इंद्रधनुष के पार,
आसमान नीला है,
और वो सपने जो तुमने कभी देखे थे,
वो सब वहा सच होते हैं।
किसी दिन जब किसी दूर तारे पर आँख खुलेगी,
और बादल कोसों दूर होंगे,
परेशानी किसी मोम की तरह पिघल चुकी होगी
तुम जानोगे कि
की फर्क बस होने में है
जयेन्द्र दूबे


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