पारदर्शी पंक्तियाँ

किश्तों में सही,

किश्तों में ग़लत,

जाने किस हालात में,

किस-किस मोड़ पर ग़लत।

काश होती कुछ पारदर्शी पंक्तियाँ जिन्हें लिख दो 

तो समझ जायें,

कि क्या सही क्या ग़लत।। 

- जयेन्द्र दूबे 

 

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