Umpteen Rambling Thoughts, Emotions, Ideas, Opinions, Dreams, Stories... One Life!!!!
मेरी सारी आदतें अब बिखर चुकी हैं,
मेरे किरदार की तरह,
उनको अब समेटने का दिल भी नही करता,
बस लगता है कि कंही किसी गोद मे सिर रख,
जो ख्यालों पर अल्पविराम लग जाए,
तो एक सुकून की नींद ले लूं,
और फिर समझूँ की ये बैराग है या विषाद।
© जयेन्द्र दुबे
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