टुकड़े


कोरे पड़े थे पन्ने एक लम्बे समय से,

लिखने का इरादा था,

पर उनको अपनी बातों से सूना करने का नही,

उदासी की यही फितरत है,

जागने और सोने के अंतर को खत्म कर,

जीने का एक तरीका बन जाती है,

और भर देती है कलम की स्याही को उस रंग से 

जिससे अवसाद ही लिखा जाता है। 

- जयेन्द्र दुबे ©





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