लिफाफा
Anjuna, Goa. |
चलो लिफाफे में बंद कर जज़बातों को,
किसी नए पते पर भेज दें,
सालों पहले नुमाईश में जो बेच आये थे ख़्वाब
उनको फिर से ढूंढ लाएं,
साँसों के बीच जरूरतों को गिनना छोड़ दें,
और वो अधूरी बात जिसे पूरी न कर पाए,
उसके लिए शब्दों को ढूंढ लें।।
चलो लिफाफे में बंद कर जज़बातों को,
किसी नए पते भर भेज दें।
वो यादें जो ज़िल्द में क़ैद कर,
अलमारी में पीछे धकेल दी थीं,
उनको नए सिरे से बुनने के लिए फिर से निकालें,
वो गाने जो खेल के बीच में छूट गए थे,
उनको पूरा करें,
और पिछली दीवाली का वो दिया,
जो लुढ़क के दीवार पे,
एक लंबी लकीर खींच गया था,
उसके टुकड़े भी अपने रिश्तों की तरह समेट के,
नई झालर लगाएं।।
आखिरी बार जिस खुले आसमान के नीचे बैठ,
अजगमगाते सितारों को अकेला छोड़ आये थे,
चलो,
उनसे एक बार फिर मुलाक़ात कर ली जाए,
उनको बताया जाए कैसे दूर रह कर भी,
वो उनसे ज्यादा करीब थे,
जो संग थे,
सुनने में शायद किसी को अटपटा लगेगा,
पर चलो,
किसी लिफाफे में बंद कर फिकरों को भी,
किसी गुमनाम पते पर भेज दें,
चलो लिफाफे में बंद कर जज़बातों को...
किसी नए पते पर भेज दें।।
© जयेन्द्र दुबे
Comments
Bahut umda..