अकेलापन

Sketch by Rupali Sharma


मेरा दर्द उनको दिखता तो है, 
पर उसको कोई कुछ समझता नही।
मेरी बातों को इंकार तो दिया है,
बस मुँह पे मेरे कोई हसता नही।।

कहता कुछ, करता कुछ, 
अपनी शख्सियत को छुपा भी लेता है,
और नज़र फेर के जख्मों से मेरे, 
कहता की,
क्यों हर शब तू बुझा बुझा सा रहता है!
पन्नों पे खामोशी कुरेदने से, 
कभी किसी को क्या मिला है।
युहीं सियाही बिखेर दे, 
चंद बातें कर के किसको क्या मिला है।।

मेरा अकेलापन उनको दिखता तो है, 
पर किसी को वो चुभता नहीं,
मेरी बातों को इंकार तो दिया है,
बस मुँह पे मेरे कोई हसता नही।।

© Jayendra Dubey

Comments

Anonymous said…
Wah bhai...Bahut gehrai se likha hai

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